पैगाम ब्यूरोः भारत में कोरोना के इलाज के नाम पर यंत्रों की खरीदारी के नाम पर घोटाले के कई मामले पहले ही सामने आ चुके हैं. अब ऐसा लगता है कि कोरोना वैक्सीन की खरीदारी के नाम पर भी घोटाला किया जा रहा है. मोदी सरकार ने जब से कोरोना वैक्सीन खरीदी हैं तब से ही इसकी कीमत को लेकर सवाल उठने शुरू हो गए हैं. कई विशेषज्ञ कोरोना वैक्सीन की कीमत को लेकर सवाल उठा रहे हैं. उनका कहना है कि सरकार सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया और भारत बायोटेक की कोरोना वैक्सीन के लिए ज्यादा कीमत चुका रही है. खुले बाजार में कोरोना वैक्सीन की कीमत 1000 रुपये होने पर भी सवाल किये हो रहे हैं.
बता दें कि सरकार सीरम इंस्टीट्यूट की कोविशील्ड वैक्सीन के लिए प्रति डोज 210 रुपये दे रही है. जबकि यूरोपीय यूनियन इसी वैक्सीन के लिए करीब 159 रुपये चुका रहा है. यह जानकारी बेल्जियम के बजट स्टेट सेक्रेट्ररी के ट्विटर पर पोस्ट किए गए दस्तावेज से सामने आई है. भारत बायोटेक की वैक्सीन के लिए केंद्र सरकार 295 रुपये प्रति डोज कीमत दे रही है. जबकि यह वैक्सीन अभी भी परीक्षण के स्तर पर ही है. इसका सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण फेज 3 का डेटा अभी सामने आना बाकी है.
टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक स्वास्थ्य क्षेत्र के विशेषज्ञों के लिए हैरानी की बात भारत में वैक्सीन की कीमतों का ज्यादा होना है. ऑल इंडिया ड्रग एक्शन नेटवर्क एनजीओ के एस. श्रीनिवासन का कहना है कि सरकार वैक्सीन की कीमतों को लेकर और मोलभाव कर सकती थी. उनका कहना है कि इस वैक्सीन की कीमत 100 रुपये के आसपास होनी चाहिए थी.
विशेषज्ञों की इस राय के बाद यह सवाल उठना लाजिमी है कि आखिर भारत सरकार कोरोना वैक्सीन की ज्यादा कीमत क्यों दे रही है. जबकि भारत में तैयार यही वैक्सीन यूरोपीय देशों को इससे कीमत पर दिया जा रहा है. आखिर इसमें कौन सा रहस्य है.